कुराड़ा गांव का इतिहास
हम अभी कुछ चीजों की जानकारी प्राप्त कर रहे है जल्द ही आपकी इसके बारे में बताएंगे।
यह एक सामान्य गांव है। यह राजस्थान राज्य के नागौर जिले में परबतसर तहसील में आता है ।
यह गांव अब पहले से ज़्यादा विकसित की ओर हैं ।
श्री श्री 1008 लादू नाथ जी महाराज
मारवाड़ की सुगन्धित माटी कुराडा धाम से उदीयमान बाल ब्रह्मचारी श्री लादुनाथजी महाराज ने माँ नर्मदा के आँचल की छाँव में, विंध्याचल पर्वत जो कि मनु सत्यस्वरूपा माता सीता एवं च्यवन कपिल मुनि की तपोभूमि में स्थित माँ करणी माता के पावन चरणों में कैलास टेकरी परवर, लिम्बी आश्रम, सूरजकुण्ड, काटकूट, इन्दौर, देवास, उज्जैन, रतलाम में तप व भक्ति की अनंत सीमाओं को परिभाषित करके मारवाड़ मालवा-निमाड़ में के अनेक शहरों व कस्बों में गुरु भक्ति के प्रताप का अलख जगाने वाले परमहंस संत शिरोमणि सद्गुरु श्री श्री 1008 श्री लादुनाथजी महाराज ।
हर वर्ष अत्यंत हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि श्री श्री 1008 परमहंस श्री लादुनाथजी महाराज की समाधि स्थल पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव के उपलक्ष्य पर ग्राम कुराड़ा में मिती आषाढ़ सुदी चौदस को विशाल रात्रि जागरण व मिती आषाढ़ सुदी पूनम (गुरु पूर्णिमा), को भण्डारा एवं मेले का आयोजन व शोभायात्रा (प्रातः 7 बजे से श्री श्री 1008 श्री लादुनाथजी महाराज की समाधि स्थल से रघुनाथजी के मन्दिर तक) रखा जाता हैं। अतः इस अवसर पर श्री श्री 1008 श्री लादुनाथजी महाराज के दर्शन हेतु पधारने की कृपा करे।
इस भजन संध्या व मेले में आप सपरिवार ईस्ट मित्रो के सहित पधारकर भजनों व मेले का आनंद प्रात कर सकते हैं।
लादूनाथ जी महाराज की कहानी
श्री लादू नाथ जी महाराज की कृपा से इसी मंदिर में लादू नाथ जी का एक भक्त उनका पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गुणगान किया करता था| मंदिर में आने वाला श्री लादू नाथ जी महाराज का नाम और चमत्कार सुनकर ही, बिना उनके दर्शन किए ही इतना अधिक प्रभावित हुआ कि वह उनका अंधभक्त बन चुका था और लादू नाथ जी महाराज की कृपा से अंतर्मन से प्रेरणा पाकर निरंतर उनका गुणवान किया करता था और श्री गोरख नाथ जी की कृपा से कई कई वर्ष पहले उसने श्री लादू नाथ जी का नाम और उनकी लीलाओं के बारे में सुना था, परंतु परिस्थितिवश वह अब तक श्री लादू नाथ के दर्शन करने जाने का सौभाग्य मिला था| इस बात से खुश हु की श्री लादू नाथ जी महाराज के नाम से ही हमारे गांव में चमत्कारी नाथ जी माना जाता है। और हर साल श्री लादू नाथ जी महाराज का मेला के साथ साथ भाविक रूप से कई लोगे और साधु संत का विराजमान रहता था| श्री लादू नाथ जी महाराज की लीलाओं के विषय में सुनाते-सुनाते श्रद्धा से उसकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगती थी| वह मन-ही-मन प्रार्थना करने लगा – “हे श्री लादू नाथ जी महारज ! क्या मैं इतना ही दुर्भाग्यशाली हूं, जो मुझे आपके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होवा था ? क्या मैं सदैव ऐसे ही आप का दरशन करता रहूंगा, जो आपके दर्शन करने के लिए कुराड़ा में आने का सौभाग्य मिला था ? और मेरी मामूली-सी नौकरी से श्री लादू नाथ जी महाराज की और से इतने बड़े परिवार की जिम्मेदार से मुझे मुक्ति मिली थी।
वह अपने मन की व्यथा अपने से कई मील दूर अपने आराध्य श्री लादू नाथ जी को सुनाये जा रहा था| वह तो हर क्षण बस श्री लादू नाथ जी के दर्शन करने के बारे में ही सोचता रहता था, परंतु धन के अभाव के कारण मजबूर था|
इसी वर्ष उसकी विभागीय परीक्षा भी होनी थी| यदि वह परीक्षा में पास हो गया तो उसकी नौकरी पक्की हो जानी थी| फिर उसके वेतन में वृद्धि हो जाएगी, जिससे उसकी जिम्मेवारियों का बोझ कुछ हल्का हो जाता| वह परीक्षा में सफलता दिलाने के लिए श्री लादू नाथ जी की प्रार्थना किया करता था। समय पर परीक्षा हुई और लक्समन मेहनत और प्रार्थना रंग लाई| नौकरी पक्की हो गयी और वेतन में भी वृद्धि हो गयी| लक्ष्मण अत्यंत प्रसन्न था| अब उसे इस बात का पूरा विश्वास हो गया था कि वह श्री लादू नाथ जी के दर्शन करने जरूर जा सकेगा|
अब वह अपने रोजमर्रा के खर्चों में कटौती करने लगा| वह एक-एक पैसा देखभालकर खर्च करता था, ताकि वह जल्द-से-जल्द कुराड़ा आने-जाने लायक रकम इकट्ठी कर सके| और लक्समन की लगन ने अपना रंग दिखाया और शीघ्र ही उसके पास कुराड़ा जाने लायक रकम इकट्टा हो गयी| उसने बाजार जाकर पूरी श्रद्धा के साथ नारियल और मिश्री प्रसाद और मावे की मिठाई भी खरीदी| फिर अपनी पत्नी से बोला – ” अब में श्री लादू नाथ का दरसन करने जाऊंगा। पत्नी दुखी से उका मुंह देखने लगी| तो उसने बोला की में कुराड़ा जाऊंगा।
“श्री लादू नाथ जी महाराज के दर्शन करने जाऊंगा !” पत्नी ने उदास स्वर में कहा – “मैं तो यह सोच रही थी कि आप मुझे कुछ गहना आदि बनवाकर देंगे|”
“सुन भाग्यवान् ! श्री लादू नाथ जी महाराज से बढ़कर और कोई दूसरा गहना इस दुनिया में नहीं है| तू चल तो सही, फिर तुझे असली और नकली गहनों के अंतर के बारे में पता चल जायेगा|”
फिर वह अपनी पत्नी को साथ लेकर कुराड़ा के लिए चल दिया| वह पूरी यात्रा में श्री लादू नाथ जी महारज का गुणगान करता रहा| कुराड़ा की धरती पर कदम रखते ही वह चिंता से मुक्त हो गया| उसे ऐसा लगा जैसे उसने इस धरती का सबसे बड़ा खजाना पा लिया हो| वह अपने को बहुत भाग्यशाली मान रहा था|
वह रात में कुराड़ा पहुंचा था| सुबह होने के इंतजार में उसने सारी रात श्री लादू नाथ जी महाराज का गुणवान करते-करते काट दी| श्री लादू नाथ जी महाराज के प्रति उसकी श्रद्धा-भक्ति देखकर सभी हैरान थे| सुबह होते ही पति-पत्नी जल्दी से नहा-धोकर तैयार हो गए और फिर नारियल और मिश्री लेकर श्री लादू नाथ जी महाराज के दर्शन के लिए चल दिए|
सारी कमाई मंदिर में पहुंचते ही द्वारिकामाई मस्जिद में पहुंचते ही श्री लादू नाथ जी महाराज ने अपनी सहज और स्वाभाविक वात्सल्यभरी मुस्कान के साथ लक्ष्मण और उसकी पत्नी का स्वागत करते हुए बोले – “आओ लक्समन , तुम्हें देखने के लिए मेरा मन कब से बेचैन था| बहुत अच्छा हुआ कि तुम आ गए|”
लक्ष्मण और उसकी पत्नी दोनों ने श्रद्धा के साथ श्री लादू नाथ जी महाराज के चरण स्पर्श किए और फिर नारियल और मिश्री उनके चरणों में अर्पित की|
तांबा नगरी कहने का कारण
........ जल्दी जानकरी मिलगी *********
