Notification texts go here Contact Us join Now!

बाँसवाड़ा जिला का इतिहास जिला दर्शन

राजस्थान राज्य के सुदूर दक्षिण में स्थित बाँसवाड़ा जिला 'वागड़' या "वागवर" के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र है। यह जिला पूर्व में महारावल द्वारा शासित
SJE
Estimated read time: 8 min

 सामान्य परिचय

राजस्थान राज्य के सुदूर दक्षिण में स्थित बाँसवाड़ा जिला 'वागड़' या "वागवर" के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र है। यह जिला पूर्व में महारावल द्वारा शासित एक रियासत थी। बाँसवाड़ा को आदिवासियों का शहर, सौ द्वीपों का शहर, मानसून का प्रवेश द्वार तथा सागवान का उद्यान उपनामों से भी जाना जाता है। भारत संघ में रियासतों के विलय के साथ, बाँसवाड़ा राज्य और कुशलगढ़ ठिकाने को वर्ष 1949 में वृहद् राजस्थान में मिलाकर बाँसवाड़ा को एक अलग जिले के रूप में मान्यता दी गई।


ऐतिहासिक परिदृश्य

ऐसा कहा जाता है कि बॉसिया भील नामक शासक ने इस पर शासन किया था और उनके नाम पर इसका नाम बाँसवाड़ा रखा गया था। शासक बौसिया को हराकर जगमाल सिंह रियासत के पहले महारावल बने।

• महारावल प्रताप सिंह :- 

इन्होंने 1576 ई. में अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।

महारावल समर सिंह :-

 इन्होंने 1617 ई. में माण्डू में जहाँगीर से भेंट कर बाँसवाड़ा-मुगल सम्बन्ध मजबूत किए क्योंकि 1615 ई. में की गई -मुगल संधि के तहत बांसवाड़ा को मेवाड़ के अन्तर्गत माना गया मेवाड़- था।

• महारावल उम्मेदसिंह :- 

25 दिसंबर, 1818 को इन्होंने कप्तान जेम्स कॉल फील्ड से आश्रित पार्थक्य नीति के तहत संधि की।शासक थे। परिवार व उच्च पदाधिकारी (अंग्रेजों) के नाम पर भवनों के नाम रखे,जैसे एडवर्ड धर्मशाला दिन म्युनिसिपल होत तथा कागदी नदी पर

महारावल लक्ष्मण सिंह :- 

ये 1857 की क्रान्ति के समय बाँसवाड़ा के महारावल पृथ्वीसिंह :- इन्होंने अपने शासनकाल में बांसवाड़ा की सेना के साथ मानगढ़ पहाड़ी पर आक्रमण किया और गोविन्द गुरु को गिरफ्तार किया था इन्होंने बाँसवाड़ा में भवनों का निर्माण करवाया तथा शाही बने ब्रिज का नाम कर्जन वाइली की स्मृति में वाइली ब्रिज रखा था।

 • महारावल चन्द्रवीर सिंह :-

 ये बाँसवाड़ा के गुहिल वंश के अंतिम शासक थे। इन्होंने संयुक्त राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि 'मैं अपने मृत्यु दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।'


भौगोलिक परिदृश्य

भौगोलिक स्थिति :- 

राजस्थान के पूर्वी मैदानी भाग का हिस्सा तथा सबसे दक्षिणी जिला है। इसके मध्य से कर्क रेखा गुजरती है। 

• पड़ोसी जिले बाँसवाड़ा जिले की सीमा उदयपुर, प्रतापगढ़ तथा डूंगरपुर जिलों के साथ लगती है।

• पड़ोसी राज्य :

 बाँसवाड़ा की सीमा मध्य प्रदेश एवं गुजरात राज्यों के साथ लगती है।

 • मेवल : 

बाँसवाड़ा और डूंगरपुर के बीच का भाग मेवल' कहलाता है।

• छप्पन का मैदान:-

 बाँसवाड़ा से प्रतापगढ़ के मध्य का भाग 'छप्पन का मैदान' कहलाता है।

• जलवायु यहाँ उष्णकटिबंध व शीतोष्ण कटिबंध जलवायु पाई जाती है। यह राजस्थान का एकमात्र जिला है, जहाँ दो प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

• मिट्टी यहाँ लान लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है।

• वनस्पति :- 

यहाँ सागवान वनस्पति की अधिकता है।

• वन्य जीव :-

 जिले में चिंकारा, हरिण, जंगली मुर्गी, लाल मुर्गी, चौसिंगा तथा चीतल आदि वन्यजीव पाए जाते हैं। इस जिले में कोई वन्य जीव अभयारण्य नहीं है।

• कृषि जिले में केले का उत्पादन होता है। बांसवाड़ा जिले के बोखर गाँव में मक्का शोध संस्थान खोला गया है। इस क्षेत्र की मुख्य फसले गेहूँ, मक्का, चना और कपास हैं।


 • खनिज : 

आनन्दपुरा भूकिया व जगतपुरा भूकिया में सोने की खानेड़ाकर स्थित हैं। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले अन्य खनिज डोलोमाइट, सोपस्टोन् ग्रेफाइट, चूना पत्थर और रॉक फॉस्फेट है। नदियाँ:- इस जिले में माही, अनास, चाप, ऐराव, चैनी आदि नदियाँ मनक प्रवाहित होती है।

 • माही नदी ये नदी दक्षिणी राजस्थान की गंगा, वागड़ की गंगा ताभपह

वासियों की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्णरिखा एवं कॉडल की गंगा उपनामों से भी जानी जाती है। इसका उद्गम मध्य प्रदेश की मेहंद झील से होता है। राजस्थान में इसका प्रवेश खांडू गाँव से होता है। बाँसवाड़ा से होकर यह बाँसवाड़ा और डूंगरपुर के मध्य सीमा बनाते हुए खम्भात की खाड़ी में प्रवाहित होती है। यह कर्क रेखा को दो बार काटती है। इस नदी पर बाँसवाड़ा में कागदी पिकअप बाँध बनाया गया है। इस बाँध से दो नहरें भीखाभाई सागवाड़ा नहर व आनन्दपुरा नहर निकाली गई है।

माही बजाज सागर बाँध बाँसवाड़ा के बोरखेड़ा स्थान पर माही नदी पर माही बजाज सागर बाँध बनाया गया है। गुजरात व राजस्थान की अंतः राज्यीय बहूद्देशीय परियोजना माही नदी पर बनाई गई है, जिसका उद्देश्य पेयजल एवं सिंचाई जल उपलब्ध करवाना तथा जल विद्युत उत्पन्न करना है।

आनंद सागर झील :-

 महारावल जगमाल सिंह की रानी लंची बाई द्वारा इस झील का निर्माण करवाया गया था। 'बाई तालाब' के नाम से लोकप्रिय यह मीठे पानी की कृत्रिम झील है। यह झील बाँसवाड़ा के पूर्वी भाग में स्थित है तथा यहाँ राज्य के शासकों की छतरियाँ व स्मारक भी बने हुए हैं।

• ऊर्जा :- 

बाँसवाड़ा के नापला गाँव में न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है।


दर्शनीय स्थल

पोटिया अम्बा मेला यह बाँसवाड़ा में स्थित है तथा यहाँ प्रतिवर्ष चैत्र माह की अमावस्या को मेला भरता है, जिसमें राजस्थान, गुजरात मध्य प्रदेश आदि प्रांतों से आदिवासी आते हैं। इसे 'आदिवासियों का दूसरा कुम्भ' भी कहते हैं। यह बाँसवाड़ा जिले का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ पर केलापानी तीर्थस्थल स्थित है। महाभारत कथा के अनुसार पांडुओं ने वनवास का कुछ समय यहाँ व्यतीत किया था।

 • दिवासा (हरियाली अमावस्या) दिवासा आदिवासी लोगों द्वारा श्रावणमास अमावस्या को मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्योहार है।जिसमें बैल और जानवरों को स्नान कराया जाता है तथा उनकी पूजा की जाती है। आदिवासी उन्हें भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। 

आमली ग्यारस : 

यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मनाया जाता है, जिसमें अविवाहित लड़के और लड़कियाँ उपवास रखते हैं तथा दोपहर में एक तालाब के किनारे एकत्र होकर शुद्ध जल से स्वयं को पवित्र है। करते हैं और इमली के पेड़ों की छोटी शाखाएँ लाते हैं। भील जनजाति पुरुष धनुष, तीर और तलवार से सुसज्जित होकर मेले में भाग लेते हैं। पूज यह उत्सव घोड़ी रणछोड़, भीम कुंड, संगमेश्वर आदि स्थानों पर आयोजित किया जाता है।

• त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर :-

 यह मंदिर तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) में स्थित है। इन्हें 18 भुजाओं वाली देवी, तुरताई माता तथा त्रिपुरा महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। यह पांचाल जाति की कुलदेवी हैं। 

• नंदिनी माता का मन्दिर:- 

यह मंदिर बड़ोदिया में स्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष चतु पौष पूर्णिमा को मेला भरता है। यहाँ पत्थरों के घरोन्दे बनाने की परंपरा है।

• अब्दुल्ला पीर :- 

यह बोहरा मुस्लिम संत अब्दुल रसूल की मज़ार है। इस दरगाह को अब्दुल्ला पीर के नाम से भी जाना जाता है।

 • रामकुण्ड बाँसवाड़ा के तलवाड़ा में प्राचीन तीर्थस्थल रामकुण्ड स्थित है। चट्टानों से बनी बड़ी गुफाओं में शिवलिंग एवं अन्य प्रतिमाएँ हैं। गुफाके तल में जलकुण्ड है जिसे 'रामकुण्ड' कहा जाता है। यहाँ एक बड़ी गुफा भी है, मान्यता है कि यह गुफा 'घोटिया अम्बा' तक जाती है।

 • पाराहेड़ा का शिव मंदिर :- 

पाराहेड़ा शिव मंदिर 12वीं शताब्दी में राजा नि मंडलिक द्वारा बनवाया गया था।

• तलवाड़ा मंदिर :-

 शिल्प नगर तलवाड़ा में त्रिपुरा सुन्दरी मार्ग पर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर आस्था का प्रमुख केन्द्र है इसे 'आमलीया गणेश जी' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ सूर्य मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर तथा राम मंदिर प्रमुख है। यहाँ सोमपुरा शिल्पकारों की पत्थरों पर उत्कीर्ण कला की देश-विदेश में ख्याति है।

• मदारेश्वर मंदिर : 

यह बाँसवाड़ा शहर की पर्वतमाला के भीतर गुफा में स्थित है। श्रावण मास में बेणेश्वर से मदारेश्वर तक कावड़ यात्री बेणेश्वर से पवित्र जल कलश में भरकर पैदल यात्रा करते हैं, तत्पश्चात् मदारेश्वर का जलाभिषेक करते हैं।

• सवाईमाता भण्डारिया भण्डारिया हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर- दeवस्थान विभाग द्वारा संचालित है। यहाँ पहाड़ी पर सवाईमाता का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है।

मानगढ़ धाम :- 

राजस्थान का जलियाँवाला बाग के नाम से प्रसिद्ध मानगढ़ धाम आनंदपुरी के समीप राजस्थान गुजरात की सीमा पर स्थित है। यह स्थान आदिवासी अंचल में स्वाधीनता आन्दोलन के अग्रज माने जाने वाले महान संत गोविन्द गुरु की कर्मस्थली माना जाता है। ऐतिहासिक मान्यतानुसार इसी स्थान पर 17 नवम्बर, 1913 को गोविन्द गुरु के नेतृत्व में मानगढ़ की पहाड़ी पर सभा के आयोजन के दौरान अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता की मांग कर रहे, 1500 राष्ट्रभक्तआदिवासियों पर अंग्रेजों ने निर्ममता पूर्वक गोलियाँ चलाकर उनकी नृशंव हत्या कर दी थी। मानगढ़ धाम पर प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा को मेले का आयोजन किया जाता है। इस दिन सम्प सभा के संस्थापक गुरु गोविंद गिरी की पूजा की जाती है। वर्तमान में इसे राष्ट्रीय शहीद स्मारक के रूप में विकसित किया जा रहा है।

 • पैनोरमा :- 

यहाँ जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय (मानगढ़ धाम) पेनोरमा स्थित हैं।

 • कालिंजरा के मंदिर :- 

यह जैन धर्म के दिगम्बर शाखा के मंदिर हैं। यहाँ भगवान ऋषभदेव का मुख्य मंदिर है।

• छीछ माता मंदिर :- 

सी गाँव में तालाब के किनारे 12वीं शताब्दी का प्राचीन ब्रह्मा मंदिर स्थित है। यहाँ कृष्ण पाषाण पर हंस की आकृतिनुमा चतुर्भुज ब्रह्माजी की आदमकद प्रतिमा तथा ब्रह्माजी के बायें तरफ भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थित है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार खण्डित प्रतिमा के स्थान पर वर्तमान प्रतिमा की प्रतिष्ठा वि.सं. 1503 में महारावल जगमाल सिंह द्वारा करवाई गई थी। यहाँ स्थित शिलालेख के अनुसार वि.सं. 1952 में कल्ला के पुत्र देवदत्त ने इस मंदिर का T निर्माण करवाया था। मंदिर में सप्तऋषि की ब्रह्माजी की मूर्ति भी है। 

• यशोदा देवी :- 

ये राज्य की प्रथम महिला विधायक थी, जो वर्ष 1953 में बाँसवाड़ा से उपचुनाव में विधायक चुनी गई। 

• हरिदेव जोशी :- 

भारतीय राजनीतिज्ञ तथा स्वतंत्रता सेनानी हरिदेव जोशी का जन्म 17 दिसम्बर, 1921 को बाँसवाड़ा के खांदू नामक गाँव में हुआ। तीन बार मुख्यमंत्री रहे 1 स्व. हरिदेव जोशी लगातार दस विधानसभा चुनाव जीतने वाले प्रदेश के एकमात्र विधायक रहे।


अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

• सरकारी योजनाओं की शुरुआत : 

3 जून, 2011 को बाँसवाड़ा से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा मुख्यमंत्री बी.पी.एल आवास योजना की शुरुआत की गई।

 • माही सुगंधा: 

कृषि अनुसंधान केन्द्र, बाँसवाड़ा के वैज्ञानिकों की ओर से धान (चावल) की विशेष किस्म 'माही सुगंधा' के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है।

 • चन्द्रजी का गढ़ा : 

बाँसवाड़ा के तीर कमान के लिए चन्द्रजी का गढ़ा प्रसिद्ध है।

एक टिप्पणी भेजें

Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.