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अजमेर के बारे में/ अजमेर की पुरी जानकारी (राजस्थान का ह्रदय)

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                           सामान्य परिचय 

 • राजस्थान के केंद्र में स्थित अजमेर (अजयमेरु) की स्थापना 1113 ई. में चौहान शासक अजयराज ने की थी, जिसे राजस्थान का हृदय राजस्थान का नाका, राजपूताने की कुंजी, राजस्थान का जिब्राल्टर विभिन्न संस्कृतियों की भूमि, भारत का मक्का आदि उपनामों से भी जाना जाता है। अरावली पहाड़ियों में स्थित अजमेर जिले की आकृति त्रिभुजाकार है, जिसे नवंबर, 1956 को एकीकरण के अंतिम एवं सातवें चरण में राजस्थान के 26वें जिले के रूप में शामिल किया गया था।

             ऐतिहासिक परिदृश्य

• बिजौलिया शिलालेख के अनुसार चौहानों का प्रारम्भिक शासन क्षेत्र सांभर तथा हम्मीर महाकाव्य के अनुसार पुष्कर के आस-पास का क्षेत्र था, जिसकी राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) थी। सांभर को प्राचीनकाल में शाकम्भरी अथवा सपादलक्ष नाम से भी जाना जाता था।

• चौहानों की उत्पत्ति चन्दबरदाई के ग्रंथ पृथ्वीराज रासो, मुहणोत नैणसी एवं सूर्यमल्ल मीसण के अनुसार अग्निकुण्ड से, कर्नल टॉड और विलियम कुक के अनुसार विदेशी जाति से हुई जान कवि की क्याम खों रासों के अनुसार ये ब्राह्मण वंशीय एवं दशरथ शर्मा ने बिजौलिया शिलालेख के अनुसार इन्हें वत्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया गया है।

• वासुदेव चौहान :- बिजोलिया शिलालेख, सुर्जन चरित्र और डॉ. दशरथ शर्मा द्वारा रचित 'अल चौहान्स डायनेस्टी' के अनुसार शाकम्भरी के चौहान वंश के आदिपुरुष वासुदेव ने 551 ई. में चौहान राज्य की स्थापना करके अहिच्छत्रपुर (नागौर) को अपनी राजधानी बनाया एवं सांभर झील का निर्माण करवाया। इनके सामत 'गुवक' ने हर्षनाथ मंदिर का निर्माण करवाया, जो चौहानों के 'इष्टदेव' है।

Vasudev chouhan

अजयराज (1105-1133 ई.)- अजयमेरु (अजमेर) नगर के संस्थापक अजयराज की कुछ मुद्राओं पर इनकी पत्नी सोमलेखा (सोमलवती) का नाम भी अंकित है। 

• अणराज (आनाजी) :- इन्होंने अजमेर में आनासागर झील तथा पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया। इनकी हत्या 1155 ई. में इनके पुत्र जगदेव ने की थी, अतः जगदेव को चौहानों का पितृहन्ता भी कहते हैं। • विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव चौहान) :- इन्होंने 'सरस्वती कंठाभरण' नामक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की तथा विद्यालय की दीवारों पर स्वयं द्वारा संस्कृत भाषा में रचित 'हरिकेली' नामक नाटक उत्कीर्ण करवाया, जिसे कालांतर में कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुड़वाकर 'ढाई दिन का झोपड़ा' मस्जिद में परिवर्तित करवा दिया। इनके काल को 'चौहानों का स्वर्णयुग' माना जाता है। जयानक भट्ट द्वारा इन्हे 'कवि बान्धव' की उपाधि प्रदान की गई तथा इनके दरबारी कवि सोमदेव ने संस्कृत भाषा में 'ललित विग्रहराज' नामक नाटक की रचना की।


• पृथ्वीराज चौहान तृतीय (1177-1192 ई.) :- इनका जन्म 1166 ई. गुजरात की राजधानी 'अन्हिलपाटन' में हुआ। इनके पिता सोमेश्वर तथा माता कर्पूरी देवी थी। राज्याभिषेक के समय पृथ्वीराज की आयु 11 वर्ष थी। इनकी माता कर्पूरी देवी को इनकी संरक्षिका बनाया गया। इन्हें 'पिपरा' एवं 'दलपुंगल' (विश्व विजेता) जैसी उपाधियों प्रदान की गई थी।

पृथ्वीराज चौहान तृतीय 

• तुमुल का युद्ध (1182 ई.) पृथ्वीराज ने महोबा के चंदेल शासक परमर्दिदेव की पराजित किया। इस युद्ध में परमर्दिदेव के सेनापति आल्हा वीरगति को प्राप्त हुए। थे।

• तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.) तराइन वर्तमान के करनाल (हरियाणा) में स्थित है जहाँ पृथ्वीराज तृतीय एवं मुहम्मद गौरी के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें पृथ्वीराज चौहान विजयी रहे।


• तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)- इसमें पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गौरी से पराजित हुए, जिसके उपरांत पृथ्वीराज चौहान का पुत्र गोविन्दराज जजमेर का शासक बना और उसने मुहम्मद गौरी की अधीनता स्वीकार की। अंग्रेजों के समय अजमेर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया तथा यहाँ ए. जी. जी. का मुख्यालय रखा गया।

• क्रांति :- 1857 की क्रान्ति का प्रथम बिगुल नसीराबाद छावनी से ही बजा था। तेजाजी के प्रसिद्ध स्थान सुरसरा, सेंदरिया एवं भाँवता अजमेर जिले में स्थित हैं।


                       भौगोलिक परिदृश्य

• भौगोलिक स्थिति :- अजमेर मध्य अरावली में स्थित राजस्थान का त्रिभुजाकार जिला है।


• पड़ोसी जिले यह जिला जयपुर, टोंक, पाली, राजसमंद, नागौर एवं भीलवाड़ा से सीमा बनाता है।


• प्रमुख पर्वत चोटियाँ :- यहाँ की प्रमुख चोटियों में गोरमजी (934 मी.). मारायजी (933 मी.) एवं तारागढ़ (873 मी.) शामिल हैं। नदियाँ इस जिले में लूनी, बनास, खारी रूपमती एवं सागरमती नदियाँ प्रवाहित होती हैं। लूनी नदी इसका उद्गम अजमेर के निकट नाग पहाड़ी से सागरमती धारा के रूप में होता है जो अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर एवं जालोर जिलों में प्रवाहित होती है। 'मरुस्थल की गंगा' उपनाम से प्रसिद्ध इस नदी को महाकवि कालिदास ने 'अन्तःसलिला' कहा है, जो पश्चिमी राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है तथा यह दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए कच्छ के रण में विलीन हो जाती है।


• रूपनगढ़ नदी इस नदी का उद्गम अजमेर से होता है तथा यह सांभर झील में गिरती है। इस नदी के किनारे निम्बार्क संप्रदाय की पीठ स्थित है। • जलाशय / झीलें : अजमेर में पुष्कर, आनासागर, फायसागर, फूलसागर, नारायण सागर, कालिंजर, मकरेड़ा इत्यादि झीलें अवस्थित है। • पुष्कर यह तीर्थराज, तीर्थों का मामा हिन्दुओं का पाँचवाँ तीर्थ आदि उपनामों से भी जाना जाता है। यह राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है जो लोनार झील (महाराष्ट्र) के बाद ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित भारत की दूसरी बड़ी क्रेटर / कोल्डर झील का उदाहरण है। यह सबसे प्राचीन, पवित्र व प्राकृतिक मीठे पानी की झील है, जिस पर 52 घाट निर्मित हैं। तथा सबसे बड़े घाट को 'गाँधी घाट' कहा जाता है।

• आनासागर झील - आनासागर झील का निर्माण चौहान शासक अणराज द्वारा (1137 ई.) तुर्की सेना के रक्त से रंगी धरती को साफ करने हेतु करवाया गया था तथा कालांतर में जहाँगीर ने इस झील के किनारे दौलतबाग (सुभाष उद्यान) का निर्माण करवाया। शाहजहाँ आनासागर झील पर बारहदरी (पूर्णत: संगमरमर से बनी) का निर्माण करवाया।


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• फॉय सागर झील :- फॉयसागर झील का निर्माण अकाल राहत कार्यों के दौरान 1891-92 ई. में अंग्रेज अधिकारी फॉप के निर्देशन में हुआ था। प्रकाशित किया जाता था। • मिट्टी :- जिले के पश्चिमी भाग में भूरी रेतीली मिट्टी तथा पूर्वी भाग में कॉप मिट्टी पाई जाती है। • वनस्पति यहाँ चोक, धोकड़ा, सालर, गुरजन आदि वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।



                      वन्य जीव


• रावली टॉटगढ़ अभयारण्य (1983) :- इस अभयारण्य का नाम कर्नल जेम्सटॉड के नाम पर रखा गया है जो अजमेर, पाली एवं राजसमन्द जिलों में विस्तृत है।



• मृगवन: अजमेर में पुष्कर मृगवन (1985) स्थित है तथा गोडावन के लिए प्रसिद्ध सौखलिया, गंगवाना एवं सिलोरा यहाँ के प्रमुख शिकार निषिद्ध क्षेत्र हैं।



• सागर बिहार में बर्ड पार्क :- अजमेर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आनासागर के तट पर सागर विहार में एक पक्षी पार्क विकसित किया गया है।



• शुभंकर:- अजमेर जिले का शुभंकर खड़मोर है।



• पशुपालन और डेयरी :-अजमेर जिला गाय की गिर नस्ल (अजमेरी या रैण्डा) के लिए प्रसिद्ध है। अजमेर के रामसर में बकरी प्रजनन एवं चारा अनुसंधान केन्द्र स्थित है। अजमेर में राजकीय मुर्गी पालन प्रशिक्षण केन्द्र भी स्थापित किया गया है।


कृषि / फसलें :- फसलों में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन अजमेर में होता है तथा यहाँ पान की खेती की जाती है तथा पान के खेत को 'बजेड़ा' कहा जाता हैं। पुष्कर में गुलाब की खेती की जाती है। पुष्कर के गुलाब विश्व विख्यात हैं तथा निर्यात में अव्वल हैं। अजमेर जिला राजस्थान में मुर्गी पालन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।


खनिज :- अजमेर में एस्बेस्टॉस, बेरेलियम, पन्ना, फेल्सपार, तामड़ा (सरवाड़), अभ्रक, वर्मीक्यूलाइट, कैल्साइट, लाइमस्टोन (ब्यावर), सोपस्टोन, यूरेनियम (किशनगढ़) मैग्नेसाइट एवं संगमरमर (किशनगढ़) आदि खनिज पाए जाते हैं तथा यहाँ फेल्सपार का सर्वाधिक उत्पादन होता है।

• उद्योग: अजमेर में 'हिन्दुस्तान मशीन टूल्स' (केन्द्र सरकार का उपक्रम) की स्थापना चेकोस्लोवाकिया के सहयोग से वर्ष 1967 में चाचियावास में की गई है। ब्यावर में स्थित 'द कृष्णा मिल्स लिमिटेड' (1889) राजस्थान की पहली सूती वस्त्र मिल है तथा अजमेर में वर्ष 1906 में एडवर्ड मिल्स लिमिटेड की स्थापना की गई थी। अजमेर के किशनगढ़ में संगमरमर उद्योग स्थापित किया गया है। अजमेर में श्री सीमेंट (व्यावर) व राजश्री सीमेंट (ब्यावर) के सीमेंट उद्योग की उत्पादन ईकाइयाँ कार्यरत हैं।


• परिवहन : राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 8, 14, 79, 79A और 89 अजमेर ने जिले से होकर गुजरते हैं। दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा अजमेर से होकर गुजरता है।

अग्रेजों से संघर्ष के समय अजमेर से प्रकाशित समाचार पत्र :- • आंगी बाण :- यह समाचार पत्र जयनारायण व्यास द्वारा ब्यावर से प्रकाशित किया जाता हैं।


• नवीन राजस्थान - विजय सिंह पथिक द्वारा इसे अजमेर से प्रकाशित किया जाता था तथा प्रतिबंध के बाद इसका नाम तरुण राजस्थान कर दिया गया। • राजस्थान :- यह ब्यावर से ऋषिदत्त मेहता द्वारा प्रकाशित राज्य का प्रथम समाचार पत्र था।


• त्याग भूमि : यह हरिभाऊ उपाध्याय द्वारा अजमेर से प्रकाशित किया जाता था तथा इसके अलावा राजपूताना हैराल्ड, राजपूताना टाइम्स, राजपूताना गजट एवं आर्य मार्तंड नामक समाचार-पत्रों का प्रकाशन भी अजमेर से किया जाता था। अग्रेजों से संघर्ष के समय अजमेर में स्थापित संगठन :-

• राजस्थान सेवा संघ :- इस संगठन की स्थापना वर्ष 1919 में वर्धा (महाराष्ट्र) में की गई लेकिन वर्ष 1920 में विजय सिंह पथिक द्वारा इसका मुख्यालय वर्धा से अजमेर स्थानान्तरित कर दिया गया।

• राजपूताना मध्य भारत सभा : इसकी स्थापना सन् 1920 में जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में की गई थी। • वॉल्टर कृत हितकारिणी सभा इसकी स्थापना सन् 1889 में अजमेर में की गई।


प्रमुख दर्शनीय / पर्यटन स्थल • तारागढ़ :- यह गिरि दुर्ग का उदाहरण है, जिसका निर्माण 11 वीं शताब्दी में चौहान शासक अजयराज ने बीठली नामक पहाड़ी पर करवाया था। इसे गढ़बीठली दुर्ग, राजस्थान का जिब्राल्टर (बिशप हैबर के अनुसार), अजयमेरु दुर्ग, राजपूताने की कुंजी, अरावली का अरमान इत्यादि उपनामों से जाना जाता है। मेवाड़ के राणा रायमल के युवराज पृथ्वीराज ने अपनी रानी तारा के नाम पर इस दुर्ग का नाम तारागढ़ रखा। इस दुर्ग के भीतर प्रसिद्ध मुस्लिम संत मीरान साहब की दरगाह, घोड़े की मजार, हिंजड़े की मजार, नाना साहब का झालरा, इब्राहिम का झालरा एवं गोल झालय. विद्यमान हैं। रानी उमादे (रूठी रानी) जोधपुर शासक मालदेव की पत्नीथी, जिसने अंतिम दिनों में अपना जीवन इसी दुर्ग में बिताया था। रावमालदेव ने अजयमेरु दुर्ग में किले के ऊपर अरहठ से पानी पहुँचाने का प्रबन्ध किया था। किशनगढ़ का किला - राजस्थान के किशनगढ़ कस्बे में किशनगढ़ का भव्य किला स्थित है।


• मैगजीन किला:- इसका निर्माण मुगल शासक अकबर द्वारा 1571-72 ई. में करवाया गया, जिसे अकबर का दौलतखाना अथवा मुगल किले के नाम से भी जाना जाता है। यह मुगलों द्वारा हिन्दू मुस्लिम दुर्ग निर्माण पद्धति से बनाया गया राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है। इसी दुर्ग में 1576 ई. के हल्दीघाटी युद्ध की अन्तिम योजना बनाई गई थी। 10 जनवरी, 1616 को इंग्लैण्ड सम्राट जेम्स प्रथम के दूत टॉमस रो ने इसी दुर्ग में बादशाह जहाँगीर से मुलाकात की थी तथा 1801 ई. में अंग्रेजों ने इस किले पर अधिकार कर (वुडलैंड) में बनाया गया है। इसे अपना शस्त्रागार (मैग्जीन) बना लिया। अजमेर में टॉडगढ़ दुर्ग तथा किशनगढ़ दुर्ग (किशनगढ़) भी स्थित हैं। ब्रह्मा जी का मन्दिर :- पुष्कर में स्थित इस मंदिर में ब्रह्माजी की विधिवत रूप से पूजा होती है तथा इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप'गोकुल चन्द्र पारिक' द्वारा तैयार करवाया गया। • सोनी की नसियां जैन तीर्थंकर ऋषभदेव जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1870 मूलचन्द सोनी ने लाल पत्थरों से करवाया, अतः शैली में मिलता है। इसे 'लाल मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।



• रंगनाथ जी का मंदिर :- पुष्कर, अजमेर में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित रंगनाथ जी का मंदिर द्रविड़ शैली या गोमुख शैली में निर्मित है। • रमा बैकुंठ मंदिर:- वैष्णव संप्रदाय की रामानुजाचार्य शाखा के भक्तों का यह प्रधान मंदिर है, जिसका निर्माण डीडवाना नागौर के सेठ मगनीराम बांगड़ द्वारा करवाया गया था।



* राधा जी का मंदिर :- सलेमाबाद (अजमेर) में स्थित यह राज्य में स्थित राधा जी का सबसे बड़ा मंदिर है जो निम्बार्क संप्रदाय का भी प्रमुख मंदिर है।


*साईं बाबा मंदिर :- अजय नगर, अजमेर में साई बाबा मंदिर का निर्माण वर्ष 1999 में सुरेश के. लाल द्वारा करवाया गया था।



वराह मंदिर :- इस मंदिर का निर्माण चौहान राजा अणराज द्वारा 1123- 1150 ईस्वी में पुष्कर में करवाया गया था।


*  जैन मंदिर : अजमेर में स्थित यह मंदिर 'श्री ज्ञानोदय तीर्थ' के नाम से भी जाना जाता है। इसके आसपास के क्षेत्र में 24 लघु मंदिर हैं। नारेली जैन मंदिर दिगंबर जैनियों के लिए तीर्थयात्रा का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।


• प्रज्ञा शिखर : यह सन् 2005 में जैन समुदाय द्वारा, जैन आचार्य तुलसी की स्मृति में बनवाया गया एक मंदिर है जो कि काले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है। अरावली की पहाड़ियों में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर यह मंदिर टॉडगढ़ में स्थित है। इसका उद्घाटन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था। इसके आस पास पुराना सी. एन. आई. चर्च, कतर घाटी, दूचलेश्वर महादेव, भील बेरी और रावली टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य भी स्थित है।



• विक्टोरिया क्लॉक टॉवर (घंटाघर) :- यह अजमेर शहर के मध्य स्थित है, इस भव्य स्मारक का निर्माण सन् 1887 में हुआ था। यह ब्रिटिश वास्तुकला का एक प्रभावशाली उदाहरण है। यह घंटाघर लन्दन की प्रसिद्ध "बिग बेन घड़ी" (छोटे रूप में) के सदृश है।


• अजमेर गवर्नमेंट म्यूजियम :- यह संग्रहालय मुगल सम्राट अकबर के महल के भीतर स्थित है, जिसे 1570 ई. में बनाया गया था इसे भरतपुर संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है पत्थर की मूर्तियों, शिलालेखों और कवच के साथ इसमें भरतपुर के महाराजाओं के बेहतरीन चित्र हैं।


• स्वामी विवेकानंद स्मारक :- स्वामी विवेकानंद स्मारक नाग पहाड़ी की तलहटी में कोटड़ा के अजमेर विकास प्राधिकरण के ओ.सी.आई.एफ.


• पेनोरमा :- यहाँ संत नागरीदास पेनोरमा (किशनगढ़), बूढ़ा पुष्कर सरोवर, सैन महाराज पेनोरमा एवं निम्बार्काचार्य पेनोरमा (सलेमाबाद) स्थित हैं।


                        चित्रकला

• किशनगढ़ चित्रशैली :- इस चित्रशैली को प्रकाश में लाने का श्रेय एरिक डिक्सन व फैयाज अली को जाता है। नागरीदास ( सावंत सिंह) के शासनकाल को किशनगढ़ चित्रशैली का स्वर्णकाल माना जाता है। कांगड़ा शैली और ब्रज साहित्य से प्रभावित किशनगढ़ शैली को कागजी शैली भी कहा जाता है क्योंकि इस शैली के सर्वाधिक चित्र कागज (वसली) पर बने हैं। नाक में पहने जाने वाले वेसरि आभूषण का एकमात्र चित्रण किशनगढ़ शैली में मिलता है।

• बणी-ठणी इसका चित्रण सन् 1778 में निहाल चंद ने सावंत सिंह (नागरीदास) की प्रेमिका के रूप में किया तथा 5 मई, 1973 को भारतीय डाक विभाग द्वारा किशनगढ़ शैली की डाक टिकट जारी की गई। एरिक डिक्सन ने इस चित्र को 'भारत की मोनालिसा' कहा है।

• चाँदनी रात की संगोष्ठी :- इसके चित्रकार अमीरचंद थे। इस चित्रशैली के प्रमुख चित्रकार मोरध्वज निहालचंद, नानकराम, सीताराम, रामनाथ, बदनसिंह, सूरध्वज, लाडलीदास, अमीरचन्द, तुलसीदास व तिलक गिताई (पद्मश्री 2017) है।


                 लोकनृत्य

चरी नृत्य : यह किशनगढ़ (अजमेर) क्षेत्र में गुर्जर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसकी विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना फलकूबाई है तथा इस नृत्य के लिए पुरस्कृत नृत्यांगना सुनीता रावत हैं। • भवाई नृत्य : इस नृत्य की शुरुआत केकड़ी (अजमेर) के नागाजी जाट द्वारा की गई।


                  सम्प्रदाय

निम्बार्क सम्प्रदाय :- इसे 'हंस सम्प्रदाय' या 'सनकादि सम्प्रदाय' भी कहा जाता है, जिसके प्रवर्तक आचार्य निम्बार्क (12वीं सदी में थे इस संप्रदाय की प्रमुख पीठ सलेमाबाद (अजमेर) में है, जिसकी स्थापना आचार्य परशुराम जी देवाचार्य द्वारा की गई। सर्वप्रथम यह संप्रदाय वृंदावन में प्रसारित हुआ तथा इस सम्प्रदाय में राधा को श्रीकृष्ण की परिणीता माना जाता है तथा युगल स्वरूप पूजा की जाती है। आचार्य निम्बार्क द्वारा लिखित ग्रंथ 'दशश्लोकी है, जिसमें राधा एवं कृष्ण की भक्ति पर बल दिया गया है। यहाँ भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मेला भरता है।

सखी सम्प्रदाय :- निम्बार्क सम्प्रदाय के संत हरिदासजी द्वारा कृष्ण भक्ति के सखी सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया गया तथा इनके अनुयायी श्रीकृष्ण की भक्ति उन्हें सखी मानकर करते हैं।

                             मेले

पुष्कर मेला : इसका आयोजन अजमेर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक आयोजित होता है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर का राजस्थान का सबसे रंगीन मेला है।

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (गरीब नवाज) का उर्स - अजमेर में रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक ख्वाजा साहब का उर्स मनाया जाता है।

• कल्पवृक्ष का मेला श्रावण मास की अमावस्या (हरियाली अमावस्या ) को मांगलियावास (अजमेर) में कल्पवृक्ष मेला भरता है।

• देव दीपावली: कार्तिक पूर्णिमा (त्रिपुरा पूर्णिमा) को देव दीपावली के अवसर पर पुष्कर में मेला भरता है। • बादशाह मेला चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को ब्यावर (अजमेर) में बादशाह मेला आयोजित किया जाता है।

• पंजाब शाह का उर्स यह ढाई दिन के झोंपड़े में भरने वाला ढाई दिन का उसे है।

• होली व्यावर में देवर भाभी की होली तथा भिनाय में कोड़ामार होली खेली जाती है।

• लाल्या काल्या मेला :- यह मेला अजमेर में भरता है। प्रमुख व्यक्तित्व माणिक्यलाल वर्मा :- माणिक्यलाल वर्मा ने अजमेर से 'मेवाड़ का वर्तमान शासन' नामक पुस्तक का प्रकाशन किया।

• हरविलास शारदा :- इन्होंने बाल विवाह का विरोध किया तथा 1929 ई. में 'शारदा एक्ट' के नाम से बाल विवाह विरोधी कानून पास करवाया। वर्ष 1911 में हरविलास शारदा ने 'अजमेर हिस्टोरिकल एण्ड हेस्क्रिप्टिव' पुस्तक का प्रकाशन किया।

• अरुणा राय अरुणा राय प्रसिद्ध सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ता थी, जिनका कार्यक्षेत्र अजमेर रहा एवं सूचना का अधिकार आंदोलन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हुई। रेमन मैग्ससे पुरस्कार पाने वाली ये राज्य की प्रथम महिला हैं। अरुणा राय के प्रयासों से तिलोनिया (अजमेर) में सामाजिक कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र (SWRC) स्थापित किया गया है। मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) की स्थापना अरुणा राय व शंकर सिंह द्वारा देवडूंगरी (राजसमंद) में वर्ष 1990 में की गई थी।

• कपिल मुनि इनका जन्म आठवीं / नवीं शताब्दी के लगभग पुष्कर के समीप एक गाँव में हुआ था। इन्होंने सर्वप्रथम अणुओं तथा परमाणुओं का गहन अध्ययन किया तथा इनके द्वारा सांख्यशास्त्र की रचना की गई है। • रामकिशन सोलंकी पुष्कर में जन्में राजस्थान के प्रसिद्ध नगाड़ा वादक, जिन्हें 'नगाड़े का जादूगर' भी कहा जाता है। • रीमा दत्ता : राजस्थान की जलपरी' के नाम से विख्यात रीमा दत्ता को सर्वश्रेष्ठ महिला तैराक घोषित किया गया है तथा तैराकों में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाली ये देश की पहली महिला तैराक हैं।

• विमला शर्मा: हॉकी प्रशिक्षिका विमला शर्मा अजमेर में प्रारम्भ की गई राज्य की पहली महिला हॉकी अकादमी की प्रथम निर्देशिका नियुक्त हुई।

 * गुलाबो कोटड़ा के सपेरा परिवार में वर्ष 1969 में जन्मी गुलाबो ने कालबेलिया नृत्य को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया तथा ये राज्य के कालबेलिया समाज महासभा की प्रथम अध्यक्षा हैं। कनीपाव की गद्दी को कालबेलिया जनजाति अपना गुरुद्वारा मानती है। • पं. दुर्गालाल : कत्थक कलाकार पं. दुर्गालाल, पखावज कला में सिद्धहस्त थे।


अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य :-

• पूर्ण साक्षर जिला अजमेर राजस्थान का ऐसा पहला जिला है, जिसे पूर्ण साक्षर घोषित किया गया। मसूदा को राजस्थान का प्रथम पूर्ण साक्षर गाँव होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। 28 मई, 2013 को अजमेर को देश का पहला स्लम फ्री (झुग्गी-झोपड़ीं मुक्त) शहर घोषित किया गया है।

जीवरक्खा :- किशनगढ़ के गूदोलाव तालाब के निकट स्थित केहरीगढ़ किले को अब हैरिटेज होटल बनाया गया है तथा इस किले के आन्तरिक भाग को 'जीवरक्खा' कहते हैं।

• केन्द्रीय विश्वविद्यालय: अजमेर जिले के बांदरसिंदरी (किशनगढ़) में स्थित है।

• वैदिक यंत्रालय : स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा अजमेर में वैदिक यंत्रालय नामक प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की गई थी। • तबीजी :- तबीजी में राज्य का प्रथम बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया गया है। • राजस्थान लोक सेवा आयोगराजस्थान लोक सेवा आयोग का मुख्यालय अजमेर में स्थित है। • राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड :- राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय अजमेर में स्थित है।

• राजस्व मण्डल - राजस्व मण्डल अजमेर में स्थित है। • मेयो कॉलेज :- 'मेयो कॉलेज' एल्टन मेयो द्वारा अजमेर में स्थापित कीगई तथा अलवर नरेश मंगलसिंह इसके प्रथम विद्यार्थी थे। • शहीद स्मारक अजमेर में 'शहीद स्मारक' स्थित है।


1 टिप्पणी

  1. second ago
    Nice 👍👍
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