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अलवर सामान्य परिचय, अलवर के बारे मे सामान्य जानकारी

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                           सामान्य परिचय

अलवर प्राचीनकाल में मत्स्य प्रदेश का हिस्सा था जिसका प्राचीन नाम अलधपुर अथवा शाल्व प्रदेश है। अलवर राज्य की स्थापना प्रताप सिंह ने 1770 ई. में की तथा इसे राजस्थान का स्कॉटलैण्ड, राजस्थान का सिंहद्वार, पूर्वी राजस्थान का कश्मीर आदि उपनामों से भी जाना जाता है।

                      ऐतिहासिक पृष्ठभूमि



● स्वतंत्रता के पश्चात 18 मार्च, 1948 एकीकरण के प्रथम चरण में अलवर, भरतपुर, धौलपुर एवं करौली को मिलाकर मत्स्य संघ की स्थापना की गई तथा 15 मई, 1949 को एकीकरण के चतुर्थ चरण में मत्स्य संघ और वृहद राजस्थान को मिलाकर संयुक्त वृहद् राजस्थान का निर्माण हुआ। वर्तमान में अलवर जयपुर संभाग में शामिल है।

• अलवर के शासक विनय सिंह के शासनकाल में 1857 की क्रांति हुई तथा सन् 1933 तिजारा (अलवर) में हुए दंगों के कारण महाराजा जयसिंह को भारत से पेरिस निर्वासित कर दिया गया था।

अलवर किसान आंदोलन सन् 1923-24 में बढ़ी हुई भू-लगान दरों तथा राजा द्वारा पाले गए सूअरों के द्वारा किसानों की फसल नष्ट करने के विरोध में आंदोलन शुरू हुआ।

• नीमूचणा हत्याकांड :- 13 मई, 1925 को कमांडर छज्जू सिंह ने किसानों की सभा को नीमूचणा नामक स्थान पर घेरकर गोलियाँ चलवा दी, जिससे कई किसान शहीद हो गए। महात्मा गाँधी ने इस हत्याकांड को 'दोहरी डायरशाही' की संज्ञा दी।

• अलवर प्रजामंडल - सन् 1938 में पं. हरिनारायण शर्मा व कुंजबिहारी लाल मोदी ने 'कांग्रेस समिति' नामक संगठन का नाम बदलकर अलवर प्रजामंडल कर दिया। अलवर के अन्तिम महाराजा तेज सिंह पर महात्मा गाँधी की हत्या का आरोप लगाया गया था।


                      भौगोलिक परिदृश्य

• राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित अलवर जिले को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल किया गया है जो जनसंख्या की दृष्टि से जयपुर और जोधपुर के बाद राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा जिला है। 

पड़ोसी राज्य : अलवर की सीमा हरियाणा राज्य से लगती है।

पड़ोसी जिले : अलवर की सीमा जयपुर, भरतपुर एवं दौसा जिलों से लगती है।

प्रमुख पर्वत चोटियाँ :- यहाँ की प्रमुख चोटियों में बिलाली (775 मी.), बैराठ (704 मी.), सिरावास, भानगढ़ इत्यादि शामिल हैं। 

नदियों यहाँ की प्रमुख नदियों में साबी, रूपारेल, सोता, गौर, काली नदी इत्यादि शामिल हैं।

झीलें : यहाँ की मंगलासर, जयसमंद, सिलीसेढ़, जयसागर, मानसरोवर, देवाती, तिजारा बाँध, हरसोरा, विजय सागर एवं बावरिया प्रमुख मीठे पानी की झीलें हैं।

मिलीसेढ़ झील इस झील को 'राजस्थान का नंदन कानन' भी कहा जाता है। यह झील अलवर की सबसे प्रसिद्ध और सुंदर झील है जिसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने 1845 ई. में अपनी रानी शीला के लिए करवाया। इस झील के किनारे सिलीसेढ़ महल का निर्माण भी करवाया  गया था।

                            वन्य जीव

• शुभंकर :- अलवर जिले का शुभंकर सांभर है।

• सरिस्का बाघ रिजर्व :- 'बाघों की माद उपनाम से प्रसिद्ध इस अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1955 में की गई जो लगभग 866 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत है। वर्ष 1979 में इसे बाघ परियोजना के अन्तर्गत शामिल किया गया था। बा बघेरा, जरख, जंगली बिल्ली, चीतल, साम्भर, हरा कबूतर एवं नीलगाय यहाँ के प्रमुख वन्य जीव है।

• आखेट निषिद्ध क्षेत्र : अलवर में बड़ौदा एवं जौड़िया आखेट निषिद्ध क्षेत्र घोषित किए गए हैं।

राज्य का सबसे छोटा अभयारण्य सरिस्का-अ (अलवर) है। • पशु सम्पदा अलवर की मुर्राह भैंस एवं जखराना नस्ल की बकरी प्रसिद्ध हैं तथा अलवर में राजकीय सूअर पालन केन्द्र स्थित है। राज्य में सर्वाधिक वागड़ी नस्ल की भेड़े अलवर में पाई जाती है। • जल परियोजनाएँ यहाँ मंगलासर बाँध, तिजारा बाँध, देवती अँध हमीरपुर बाँध, आनन्दपुर बाँध एवं जयसमंद बांध परियोजनाएँ करत हैं।

कृषि / फसलें :- सरसों, गेहूँ, मूँगफली, ज्वार एवं चना यहाँ की ख फसलें हैं। अलवर में राज्य की प्रथम प्याज मंडी स्थापित की गई है जिले में सर्वाधिक क्षेत्र में तम्बाकू उत्पादन किया जाता है।

खनिज मैंगनीज, फेल्सपार, अभ्रक, संगमरमर (जीरी एवं दादर) स्लेट पत्थर, बेराइट, सोप स्टोन, केल्साइट, क्वार्ट्ज, पायरोफ्लाइट प्र क्ले, ताँबा, सिलिका सेण्ड, लाइम स्टोन व ग्रेनाइट अलवर के प्रमुख खनिज हैं। खो दरीबा परियोजना ताँबा के लिए प्रसिद्ध है तथा राज्य में सर्वाधिक स्लेटी पत्थर अलवर के झबराना, माटोन, नीमराना और से प्राप्त होता है।


                                उद्योग


भिवाड़ी (राज्य का नवीन मैनचेस्टर) :- फ्रांस की सेंट गोबेन कम्पनी ने भिवाड़ी में काँच विनिर्माण इकाई स्थापित की है।

 • नीमराणा : नीमराणा में राज्य का तीसरा निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। यहाँ कई जापानी कम्पनियाँ अपने क कारखाने लगा चुकी हैं इसलिए इस क्षेत्र को 'जापान जोन' भी कहा जाता है। ऑटोमोबाइल्स पार्क खुशखेड़ा (अलवर) में स्थित हैं।

 • परिवहन :- राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 अलवर जिले से होकर गुजरता है जो राज्य का व्यस्ततम राजमार्ग है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 71 रेवाड़ी (हरियाणा) से धारूहेड़ा तक है जो राज्य का सबसे छोटा (5 (किमी.) राष्ट्रीय राजमार्ग है। अलवर में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाया रहा है।


               स्थापत्य एवं सांस्कृतिक परिदृश्य


                           दर्शनीय स्थल

• बाला किला : इसका निर्माण सम्भवतः 1049 ई. में आमेर नरेश कोकिलदेव के पुत्र अलगू राय ने करवाया था जिसका पुनर्निर्माण 1550ई. में हसन खाँ मेवाती के द्वारा करवाया गया था। इस दुर्ग को अलवर का किल्ला, कुँवारा किला एवं बावन दुर्गा का लाडला भी कहा जाता है।

 • भानगढ़ का किला:- इसका निर्माण 1573 ई. में महाराजा भगवंत दास ने करवाया था तथा इसे भूतों का किला भी कहा जाता है। 

• राजगढ़ :- इसका निर्माण राव प्रतापसिंह के द्वारा करवाया गया था।

कांकणबाड़ी किला:- राजगढ़ कस्बे में स्थित इस दुर्ग का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था तथा इसमें औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह की कैद करके रखा था। 

अजबगढ़ का किला इसका निर्माण भानगढ़ किले के समीप माधोसिंह के पुत्र अजब सिंह ने करवाया था।

 • नीमराणा दुर्ग:- 1464 ई. में पहाड़ी पर निर्मित पाँच मंजिला नीमराणा किला पंचमहल के नाम से भी जाना जाता है।

• पहाड़ी किला केसरोली:- यदुवंशी राजपूतों द्वारा 14वीं सदी में बनवाया गया यह किला अपने बुर्ज, प्राचीर और बरामदों के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान में इसे हैरिटेज होटल के रूप में विकसित कर दिया गया है।

मूसी महारानी की छतरी:- महाराजा विनय सिंह ने महाराजा बख्तावर सिंह की पासवान मूसी महारानी की स्मृति में इस छतरी का निर्माण 1815 ई. में करवाया। इस छतरी में 80 स्तम्भ हैं इसलिए इसे अस्सी खंभों की छतरी भी कहा जाता है। इसके अलावा अलवर में नैडा की छतरियाँ, बख्तावरसिंह की छतरी, टहला की छतरियाँ एवं सफदरगंज की मीनार स्थित हैं।

• नीमराणा की बावड़ी - इसका निर्माण विक्रम संवत् 1740 में महाराजा मान सिंह ने करवाया था जो 9 मंजिला बावड़ी है तथा मार्च, 2018 में इसे राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक घोषित किया गया है।

* कुतुबखाना : अलवर में महाराजा विजय सिंह के शासनकाल में 1837 ई. में कुतुबखाना (पुस्तकशाला) की स्थापना की गई।

• होप सर्कस यह भव्य कैलाश बुर्ज अलवर शहर के मध्य में स्थित है। लॉर्ड लिनलिथगो की पुत्री होप के नाम पर इस बुर्ज का नाम 'होप सर्कस' रखा गया है।

फतेहगंज गुम्बद :- इस पाँच मंजिला गुम्बद का निर्माण 1547 ई. में फतेहगंज खाँ की स्मृति में करवाया गया था।


* विजय मंदिर महल : इसका निर्माण सन् 1918 में महाराजा जयसिंह के द्वारा करवाया गया था, जिसमें सीताराम जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।

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* अलवर सिटी पैलेस :- अलवर का सिटी पैलेस राजा बख्तावर सिंह द्वारा 1793 ई. में बनवाया गया तथा इसकी वास्तुकला में राजपूताना व इस्लामिक शैलियों का सुन्दर समन्वय है। इसके आँगन में कमल के फूल के आकार का संगमरमर का मण्डप है, जो इसे अद्भुत सुन्दरता प्रदान करता है। वर्तमान में इस पैलेस में सरकारी कार्यालय संचालित किए जाते हैं।

पुरजन बिहार :- यह एक हैरिटेज पार्क है जिसे स्वतंत्रता पूर्व कम्पनी गार्डन के नाम से जाना जाता था। अन्य स्थानों की तुलना में अधिक ठण्डा रहने के कारण, इसे महाराजा मंगल सिंह ने 1885 ई. में 'शिमला' नाम दिया था।

 • सरिस्का पैलेस :- इसमें पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लगभग 300 हिंदू और जैन मंदिर (8वीं-12वीं शताब्दी) बने हुए हैं। 19वीं शताब्दी में महाराजा जय सिंह द्वारा शाही शिकार लॉज के रूप में निर्मित, यह सरिस्का महल, वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। वर्तमान में यह एक लग्जरी होटल है।


ताल वृक्ष:- यह स्थल अलवर से 35 किमी. दूर अलवर-नारायणपुर मार्ग पर स्थित है जो पहाड़ों की गोद में सघन वृक्षों से आच्छादित है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ ऋषि मांडव्य ने तप किया था। इसी स्थान पर गंगा माता का प्राचीन मंदिर स्थित है।

 • गर्भाजी झरना :- यह अलवर में स्थित पवित्र झरना है।

भर्तृहरि मंदिर अलवर में उज्जैन के राजा भर्तृहरि की तपोस्थली स्थित है जहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी एवं अष्टमी को मेला लगता है। यह स्थल कनफड़े नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है।

नारायणी माता:- नाई समाज की कुलदेवी नारायणी माता का मंदिर बरवा डूंगरी की तलहटी में स्थित है। नारायणी माता का मूल नाम करमेती बाई था यहाँ वैशाख शुक्ल एकादशी को मेला लगता है तथा इस मंदिर के पुजारी मीणा जाति के लोग होते हैं।

नीलकंठ महादेव मन्दिर:- अलवर में स्थित इस मंदिर के एक शिलालेख के अनुसार बड़गुर्जर राजा अजयपाल ने विक्रम संवत् 1010 में नीलकंठ महादेव के मंदिर का निर्माण करवाया था।

जिलाणी माता मंदिर:- जिलाणी माता का मंदिर अलवर के बहरोड़ गाँव में स्थित है जो गुर्जर समाज की कुलदेवी हैं।

पेनोरमा यहाँ दीर हसन खान मेवाती पेनोरमा, कृष्णभक्त अलीबख्श पेनोरमा (मुण्डावर) एवं राजा भर्तृहरि पेनोरमा स्थित हैं।

नालदेश्वर तीर्थस्थल :- अलवर में स्थित यह एक पुराना शिव मंदिर है। पाण्डुपोल हनुमानजी का मन्दिर :- यहाँ लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है तथा यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी एवं पंचमी को मेला लगता है।

बिलारी माता का मंदिर : अलवर में स्थित इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल सप्तमी व अष्टमी को बिलारी माता का मेला लगता है। • नौ गाँव के जैन मंदिर :- यह भगवान मल्लीनाथ को समर्पित प्रमुख जैन मंदिर है तिजारा में चंद्रप्रभु के जैन मंदिर स्थित है।

ताल वृक्ष - अलवर में स्थित ताल वृक्ष ऋषि मांडव्य की तपोस्थली है। • लाल मस्जिद, तिजारा - तिजारा कस्बे के पूर्व में स्थित मस्जिद को लाल मस्जिद के नाम से जाना जाता है। लाल बलुआ पत्थर की संरचना आयताकार है जिसके चारों कोनों पर मीनारें और मेहराबदार द्वार है।

                         सांस्कृतिक परिदृश्य


अली बख्शी ख्याल :- अलवर में प्रचलित अली बराशी ख्याल के प्रवर्तक अली बख्शी जी मूलतः मुडावर ठिकाने के ठाकुर रुड़े खाँ के पुत्र थे, जिन्हें 'अलवर का रसखान' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त अलवर में रतवाई और ढप्पाली राग भी गाये जाते हैं तथा उप्पाली ख्याल विशेष रूप से लक्ष्मणगढ़ में प्रचलित हैं।


कागजी बर्तन :- अलवर के पतली परत के कागजी बर्तन (कागजी पॉटरी) प्रसिद्ध हैं। अलवर का खारी नृत्य प्रसिद्ध है तथा बम नृत्य अलवर और भरतपुर क्षेत्र में प्रचलित है।

अलवर चित्रकला शैली : यह चित्रकला शैली ढूंढाड़ स्कूल का भाग है तथा महाराजा विनय सिंह का काल अलवर चित्रकला शैली का स्वर्णकाल माना जाता है जिसके प्रमुख चित्रकार मूलचंद, बलदेव, गुलाम अली, सहदेव एवं नंदराम हैं।


• विशेषताएँ- मूलचन्द नामक चित्रकार हाथीदाँत पर चित्र बनाने में निपुण था। अलवर शैली में वेश्याओं के चित्र बने यह शैली ईरानी, जयपुर और मुगल शैली का उचित समन्वय है तथा लघु चित्रण अलवर शैली की अपनी एक विशेषता है।


                           प्रमुख व्यक्तित्व

राजेन्द्र सिंह :- इन्हें वॉटर मैन (जोहड़ वाले बाबा) के नाम जाना जाता है तथा जल संरक्षण के कारण इनको रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राजेन्द्र सिंह द्वारा तरुण भारत संघ नामक संगठन (NGO) की स्थापना की गई।

पायल जांगिड़ : प्रदेश में बाल विवाह के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए चेंज मेकर अवॉर्ड जीतने वाली राजस्थान की प्रथम बालिका है। 

ब्रिगेडियर सौरभ सिंह शेखावत :- एवरेस्ट पर्वत को फतह करने वाले राजस्थान के प्रथम नागरिक हैं।

संत चरणदास जी इनका जन्म डेहरा (अलवर) में हुआ था तथा चरणदासी संप्रदाय चलाया जिसकी मुख्य पीठ दिल्ली में स्थित है। इनकी दो प्रमुख शिष्या सहजोबाई तथा दयाबाई है। इस संप्रदाय में 42 नियमों का पालन किया जाता है। चरणदास ने नादिरशाह के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी। इस सम्प्रदाय में दो प्रकार के अनुयायी (विरक्त एवं गृहस्थ होते हैं। चरणदासजी के प्रमुख ग्रन्थ ब्रह्मचरित्र ज्ञान स्वरोदय एवं भक्ति सागर है तथा सहजोबाई ने 'सोलह प्रकाश' व 'सोलह तिथि' नामक ग्रंथों की रचना की दयाबाई ने 'दया बोध' व 'विनयमालिका' ग्रंथ की रचना की।

संत लालदास जी इनका जन्म मेव जाति में धौलीदुव (अलवर) में हुआ तथा इन्होंने लालदासी संप्रदाय चलाया जिसकी प्रमुख पीठ नगला जहाज (भरतपुर) में स्थित है। इन्होंने तिजारा मुस्लिम संत गद्दन चिश्ती दीक्षा लेकर निर्गुण भक्ति का उपदेश दिया। लालदासजी के उपदेश वाणी नामक ग्रंथ में संगृहीत हैं तथा इनकी समाधि अलवर जिले के शेरपुर में स्थित है।

देवकीनंदन शर्मा : भित्ति व पशु-पक्षियों के चित्रण में महारथ हासिल होने के कारण इन्हें 'मास्टर ऑफ नेचर एंड लिविंग ऑब्जेक्ट' भी कह जाता है।

जयसुख बाई रियासत काल में गायक कलाकार थीं।

डॉ. जय सिंह नीरज :- अलवर निवासी डॉ. जय सिंह नीरज को के.के.बिरला फाउंडेशन द्वारा प्रथम बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया गय था। जहूर खाँ मेवाती अलवर के जहर खाँ मेवाती प्रसिद्ध भपंग वादक है।


विविध तथ्य

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र :- अलवर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल होने वाला राजस्थान का पहला जिला है।

मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम :- मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम का वर्ष 1987-88 में किया गया था। • डडीकर यहाँ आदिमानवों के बनाए हुए पाँच से सात हजार वर्ष पु शैलचित्र प्राप्त हुए हैं।

राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय : राज्य का प्रथम मल्य विश्वविद्यालय अलवर में स्थित है।

चंदोली : भारत का प्रथम अल्प संख्यक साइबर गाव चंदोली, अलवर हैं।।

1 टिप्पणी

  1. second ago
    nice blog worker wish you all best on best thanks bro
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